Best Collection of Hindi Patriotic Poems, Latest Hindi Patriotic Poems
Patriotic Poems Hindi Language
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं
स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं
सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
मुँह से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग – निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोंक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
गुन बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भीतर,
मेहँदी में जैसी लाली हो,
वर्तिका – बीच उजियाली हो,
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।
Patriotic Poems in Hindi
घनी अँधेरी रात हो, और तेरे ना कोई साथ हो
मुमकिन है कि तु डर भी जाय, जब अपना साया तुझे डराए
एक पल के लिए तु कुछ सोच ले, पीछे मुड के भी देख ले
अपना डर जीत ले, अपना डर जीत ले
जब बात कुछ नया करने की हो, नए क्षेत्र में मुकाम हासिल करने की हो
समस्या का समाधान ढूंढने की हो, या कौशल नया सीखने की हो
मुमकिन है कि तेरे पैर थम जाय, अनिश्चितता के बादल तुझे डराए
शुरुआत से पहले अभ्यास कर ले , अज्ञानता अपनी थोड़ी दूर कर ले
अपना डर जीत ले, आपना डर जीत ले
पढ़ाई प्राथमिक शाला या उच्च विद्यालय में हो, या फिर महाविद्यालय में हो
घड़ी परीक्षा की जब आ जाय, व्याकुल मन जब तुझे सताए
परिणाम की चिंता भुला दे, ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर लगा दे
पढ़कर बुद्धि के भीत ले, अपनी जीत की पक्की तस्वीर खींच ले
अपना डर जीत ले, अपना डर जीत ले
Short Patriotic Poems in Hindi
हमको कब बाधाये रोक सकी है
हम आज़ादी के परवानो की
न तूफ़ान भी रोक सका
हम लड़ कर जीने वालो को
हम गिरेंगे, फिर उठ कर लड़ेंगे
ज़ख्मो को खाए सीने पर
कब दीवारे भी रोक सकी है
शमा में जलने वाले परवानो को
गौर ज़रा से सुन ले दुश्मन
परिवर्तन एक दिन हम लायेंगे
ये हमले, थप्पड़ जूतों से
हमको पथ से न भटका पाएंगे
ये ओछी, छोटी हरकत करके
हमारी हिम्मत तुम और बढ़ाते हो
विनाश काले विपरीत बुद्धी
कहावत तुम चरितार्थ कर जाते हो
जब लहर उठेगी जनता में
तुम लोग कभी न बच पाओगे
देख रूप रौद्र तुम जनता का
तुम भ्रष्ट सब नतमस्तक हो जाओगे
Patriotic Poems are the best
तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।
हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।
लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।
विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
Best Patriotic Poems in Hindi
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता – आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥
जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥
कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥
हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥
इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख़्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥
Connect with friends Send Free greetings automatically
Connect with asdasd
Online Gift Store
Connect with asdasd
Browse Free Greetings at DilseComments.com
Connect with asdasd
Website just Rs. 999
Connect with asdasd